भारत वर्ष की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास सभी कुछ संस्कृत भाषा में ही है। वेद, उपनिषद् आरण्यक, पुराण, धर्म, ग्रंथ, रामायण, महाभारत, नाट्यशास्त्र, दर्शनशास्त्र, अष्टाध्यायी आदि भारतीय ज्ञानमीमांसा के अनुपम ग्रंथ हैं। भारत की सांस्कृतिक धरोहर हजारों वर्षों से इसी भाषा में है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी विश्व की सभी भाषाओं में संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो कम्प्यूटर के उपयोग हेतु सर्वथा उपयोगी है ।
महर्षि पाणिनि धर्मार्थ ट्रस्ट (रजि०) द्वारा संचालित महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल, ग्रेटर नोएडा इसी ओर जिरन्तर प्रयासरत है तथा संस्कृत व संस्कृति की निःशुल्क आवासीय शिक्षा उपलब्ध करा कर न केवल सामाजिक उत्थान व सनातन संस्कृति के विकास में योगदान कर रहा है बल्कि भविष्य हेतु सुयोग्य आचार्यों का भी निर्माण कर रहा है।
गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति में निर्धारित शिक्षा के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन समिति ने शिक्षा के उद्देश्य निम्न प्रकार स्वीकार किए हैं-
- वैदिक वाङ्मय का अध्ययन एवं अनुशीलन
- शारीरिक विकास चारित्रिक विकास
- मानवीय मूल्यों की अवधारणा को विकसित करना और आचरण में उतारना
- वैयक्तिक और सामाजिक विकास करना
- आध्यात्मिक विकास करसे कर रहे हैं।
- संस्कृति के विकास के लिए शिक्षा
- प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए शिक्षा (पंचमहाभूतों का महत्व व संरक्षण एवं संवर्धन)
- गोपालन और पशु पक्षी एवं जीव जगत का प्रारम्भिक परिचय रुकुल
- कृषि और वानस्पतिक ज्ञान (उत्पादन और उपयोग) पादप जगत का सामान्य परिचय
(i) प्रथमा (प्रथम, द्वितीय, तृतीय)(ii) पूर्वमध्यमा(iii) प्राकशास्त्रीइन कक्षाओं में प्रवेश लेने के बाद गुरुकुल के छात्रों को ‘केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय’ द्वारा परीक्षाएं करायी जाती हैं।(iv) वेद
इसमें छात्र को शुक्लयजुर्वेद की माध्यान्दिनीय शाखा के सस्वर पाठ के साथ महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम अभ्यास करा रहे हैं। यह प्रमाणपत्र -पाठ्यक्रम सात वर्षीय है ।